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8 May 2022 · 1 min read

शीर्षक:माँ तुम भी आ जाती

माँ तुम भी आ जाती’

तुम भी आ जाती,आज बिन बताए
चुपके से धीरे धीरे बिन बुलाए

जैसे
धूप उतर आती हैं
खिड़की की चौखट से झाँक
मेरे कमरे में बिन बुलाए
बिन बताए अचानक ही

तुम भी आ जाती,आज बिन बताए
चुपके से धीरे धीरे बिन बुलाए

जैसे
बारिश आती हैं
आँगन को नेह से भिगोने
मेरे कमरे तक पिछवाड़ देती
आ जाती बिन बुलाए अचानक ही

तुम भी आ जाती,आज बिन बताए
चुपके से धीरे धीरे बिन बुलाए

जैसे

आ जाते हैं आँसू
भिगोने गालो को
पुरानी यादों में जाने से
उकेरती यादो को आँसू अचानक ही

तुम भी आ जाती,आज बिन बताए
चुपके से धीरे धीरे बिन बुलाए

जैसे
स्वप्न आते हैं यकायक ही
यादो को ताजा करने
आ जाती एक बार स्वप्न सी
मेरी यादो में अचानक ही

डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

Language: Hindi
70 Views
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