Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jul 2023 · 1 min read

फ़ितरत का रहस्य

किसकी क्या फ़ितरत ,
किसको है पता ,
जिसने इसको समझा,
फ़ितरत कुछ और थी।

बड़ी मासूमियत होती है,
फ़ितरत छुपती है जहाँ,
सदा चौंका देती है अंततः,
पीठ पीछे वार फ़ितरत का।

फ़ितरत बदलती नहीं किसी की,
जो दिखता वह बाहरी आवरण था,
अंदर की प्रकृति सत्य होती,
फ़ितरत का सत्य पकड़ना मुश्किल होता।

फ़ितरत सुंदर चेहरे पर काला दाग़,
समक्ष होकर भी नजर ना आए,
चांद का टुकड़ा समझ आईना मिल जाए,
फ़ितरत के रहस्य का प्रतिरूप समय का आईना दिखलाए।

रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।

6 Likes · 2 Comments · 348 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Buddha Prakash
View all
You may also like:
एक ही तो, निशा बचा है,
एक ही तो, निशा बचा है,
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
*माॅं की चाहत*
*माॅं की चाहत*
Harminder Kaur
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
अजनबी
अजनबी
Shyam Sundar Subramanian
तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है
तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है
DR ARUN KUMAR SHASTRI
एक ऐसी दुनिया बनाऊँगा ,
एक ऐसी दुनिया बनाऊँगा ,
Rohit yadav
कितने हीं ज़ख्म हमें छिपाने होते हैं,
कितने हीं ज़ख्म हमें छिपाने होते हैं,
Shweta Soni
सांसों के सितार पर
सांसों के सितार पर
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
राख का ढेर।
राख का ढेर।
Taj Mohammad
स्याही की मुझे जरूरत नही
स्याही की मुझे जरूरत नही
Aarti sirsat
#सच्ची_घटना-
#सच्ची_घटना-
*Author प्रणय प्रभात*
प्यार है ही नही ज़माने में
प्यार है ही नही ज़माने में
SHAMA PARVEEN
तेवर
तेवर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
चाय
चाय
Rajeev Dutta
बुद्ध भगवन्
बुद्ध भगवन्
Buddha Prakash
I'm a basket full of secrets,
I'm a basket full of secrets,
Sukoon
इंसान फिर भी
इंसान फिर भी
Dr fauzia Naseem shad
कुछ चंद लोंगो ने कहा है कि
कुछ चंद लोंगो ने कहा है कि
सुनील कुमार
अर्जुन सा तू तीर रख, कुंती जैसी पीर।
अर्जुन सा तू तीर रख, कुंती जैसी पीर।
Suryakant Dwivedi
(6) सूने मंदिर के दीपक की लौ
(6) सूने मंदिर के दीपक की लौ
Kishore Nigam
उम्मीद रखते हैं
उम्मीद रखते हैं
Dhriti Mishra
अपने साथ चलें तो जिंदगी रंगीन लगती है
अपने साथ चलें तो जिंदगी रंगीन लगती है
VINOD CHAUHAN
छुप जाता है चाँद, जैसे बादलों की ओट में l
छुप जाता है चाँद, जैसे बादलों की ओट में l
सेजल गोस्वामी
*सबसे अच्छी मॉं के हाथों, निर्मित रोटी-दाल है (हिंदी गजल)*
*सबसे अच्छी मॉं के हाथों, निर्मित रोटी-दाल है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ा अकेले में
सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ा अकेले में
कवि दीपक बवेजा
सरकारी नौकरी
सरकारी नौकरी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
काश ! ! !
काश ! ! !
Shaily
23/171.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/171.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
If you have someone who genuinely cares about you, respects
If you have someone who genuinely cares about you, respects
पूर्वार्थ
Loading...