दोहे
दोहे
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तन मन मधुवन हो गया,नैन हुए बृजधाम ।
श्वासों मे सुमरिन हुआ, रोम -रोम में श्याम ।।
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कान्हा की बंशी मधुर, स्वर के उठे हिँडोल ।
बलि जा री मुस्कान की ,रसना राधे बोल
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सखियाँ बाजू में खड़ी , प्रीतम मारे सैन ।
नैनो पर पहरे लगे , व्याकुल मन बेचैन ।
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प्रियतम को पाती लिखूँ ,धड़कन करती शोर ।
चाहत चितवन ढूँढ़ती नाचे मनवा मोर
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मौसम मनभावन हुआ,उठा आज मन डोल ।
भीगा आँचल साजना,रहा शोखियाँ घोल ।।
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मस्ती गीतों में सजी,दोहे हैं मदहोश ।
मुक्तक -मुक्तक रागिनी, असर करे खामोश ।।
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डॉक्टर रागिनी शर्मा
इंदौर