शाश्वत सत्य
अटल अडिग अविचल निश्चय
सत्य सनातन शाश्वत परिचय
अनादि अनन्त अगम अगोचर,शान्त सहज भय से भयंकर
बांधे सकल काल अणु रज रज, भू अम्बर प्रकृति हर अक्षर
शत सूर्य कोटि सबकुछ तुमसे,अकाल काल महाकाल तुमसे
तुम समष्टि समग्र शून्य शिखर, तुमसे शोभित अखण्ड हिमालय।।
शिव शक्ति सर्वज्ञ अजेय तुम, पूर्ण ज्ञान और प्रेम विरल तुम
सर्वत्र सजे शोभा शब्द तुम, आकार निराकार परे तुम
पाताल अनंग विहंग निहंग,शोड़ित क्लेश विकार हरौ तुम
जीवन जय विजय इन्द्रिय तुम,पूज्य आराधक एक उपास्य।।
तुम गुणातीत सर्वगुण सम्पन्न,सर्वश्रेष्ठ सर्वव्यापक विभिन्न
सर्वशक्तिमान प्रीतम का प्यार,भक्ति भक्त का तुम इक सार
आराध्य सृष्टि के तारणहार,कर्मफल दाता तुम करतार
न्यायकारी भाग्यविधाता,चल अचल सबका विस्मय
सिरजन पालन करते संहार,स्नेह प्रसून तुम क्रुद्ध हुँकार
शक्ति सर्वोच्च ॐ ओंकार,समिष्टि सृष्टि का आधार
तुम रजनीश अरुण प्रसून,सुगन्धि प्रखर का विस्तार
अध्यात्म समाया सब तुझमें,तुझमे सृष्टि का सम्पूर्ण विलय
अकाट्य अवाध्य अविरल प्रवाह,प्रकाश आलौकिक सतत राह
पथ गमित तुम लक्ष्य मम पाथ, शीश सदा मैं पाऊँ त्वम हाथ
उद्देश्य मेरा मार्ग तुम साथ, चरण धरत श्रद्धा संग माथ
बाजत मृदंग ढोल शंखनाद, मुख उचरत ध्वनि गुंजित जय जय
तेरा प्रकाश सकल धरा पर,तेरा ही नाद गूंजता हर स्वर
परम शक्ति साकार निराकार,विश्वनाथ तू कण-कण विस्तार
असँख्य लगे यहाँ विशेषण,मूढ़ करे का इनका विश्लेषण
रहूँ समर्पित तुमको तन मन,और ध्यान हो तुझमें तन्मय
………………………………..सत्यार्थ से