शादी
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लड़की हो या लड़का,
शादी तो करनी है,
इस रिश्ते में तो बंधना ही है,
समाज के डर से,
या अपनो के डर से,
शादी तो करनी ही है,
मम्मी पापा के सपने,
या फ़िर उनके अपने ,
बोलते हैं शादी करनी है|
सोच बदलनी होगी,
अपनी बात आगे रखनी ही होगी,
हम खुद के पैरों पर खड़े हो सकते हैं,
जिसका मन है,
वो शादी करे,
वरना अपने लिए आगे बढ़ें,
ये वो जमाना है,
जहां हम अकेले काफी हैं,
लोगों से वाकिफ हैं,
मैं ये सब बोलूंगी,
सबकी आखें खोलूंगी,
यकीनन बुरा सबको लगेगा|
हमारी शादी की बात अभी से शुरू होती है,
ये कह के,
पढना है पढ लो,
फ़िर शादी तो करनी ही है,
फिर क्या,
सब ख़त्म हो जाता है ये कहते ही,
हम सहम जाते हैं ये सुनते ही,
लेकिन हाँ,
मेरी सोच गलत नहीं है,
सबकी ये हालत नहीं है,
क्या वही लोग लड़कों को ऐसे बोलते हैं,
ससुराल क्यो लड़के नहीं जा सकते,
क्यू नहीं जा सकता वो,
मुंह क्यू खुल जाता है ये सुनते ही लोगों का
सच्च तो यही है,
हम उन लोगों की बात बिना कुछ कहे मान लेते हैं,
ये सिर्फ एक की नहीं हजारों की कहानी है,
इसलिए हमें दबंग बन के खुद की कहानी बनानी है,
जिसको शादी करनी है,
वो करे,
जिसको ओरों की तरह जीना है,
वो जिए,
लेकिन,
मुझे खुद की कहानी खुद ही बनानी है,
ना किसी की बीबी बन कर,
ना किसी की दीदी बैन कर,
खुद की आवाज बनकर,
मुझे अपनी पहचान खुद बनानी है|