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26 Nov 2021 · 1 min read

शरद ऋतु

विधा-छप्पय

निकले स्वेटर – शॉल,ठण्ड का मौसम आया।
जलने लगे अलाव,घना कुहरा अब छाया।
हुई गुलाबी धूप , सेंकती , भाती सबको ।
राहत मिलती खूब,गर्म कर जाती सबको।
ठण्ड झेलता नीड़ नित,विहगों का आधार है।
दुखदायी लगने लगी,शीतलहर की मार है।

**माया शर्मा, पंचदेवरी, गोपालगंज (बिहार)**

Language: Hindi
476 Views
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