वृक्ष लगाना भी जरूरी है
आक्सीजन चाहिए तो
वृक्ष लगाना भी जरूरी है।
छाया हमें चाहिए तो,
वृक्ष बचाना भी ज़रुरी है।।
जीव दया पालणी,
नहीं रूंख काटना ज़रूरी है।
जहाँ भी जगह मिलै वहीं,
वृक्ष लगाना भी ज़रूरी है।।
संस्कृति में वृक्ष म्हारै,
संस्कार बताना भी जरूरी है।
ना भूलें जीना जीने में,
सांस आना भी ज़रूरी है।।
प्रदूषण बचाव को वृक्षारोपण,
करना भी जरूरी है।
वृक्षों हेतु प्राणी का समर्पण,
करना भी ज़रूरी है।।
स्वच्छता चाहिए तो,
वृक्षोहित मरना भी जरूरी है।
वृक्ष भी प्राणी है ये समझना,
समझाना भी ज़रुरी है।।
काटने पे भी ख़ामोश है वृक्ष,
बताना भी जरूरी है।
फूल फल चाहो तो बीच वृक्षोंं,
गुनगुनाना भी ज़रूरी है।।
संस्कार से आचरण बनता है,
बताना भी जरूरी है।
गुजरा वक्त इतिहास होवै है,
ज़ताना भी ज़रूरी है।।
समर्पित जीवन वृक्षों पे है,
जहाँ बताना भी जरूरी है।
इतिहास खेजड़ली वीरगति का,
बताना भी ज़रूरी है।।
363अमृता संग मरे वृक्षहित,
सुनाना भी जरूरी है।
अद्वितीय इतिहास जगत को,
समझाना भी जरूरी है।।
‘पृथ्वीसिंह’ वृक्ष कटे तो संग,
मर जाना भी जरूरी है।
रखनी स्वच्छता तो स्नेह वृक्ष,
से करना भी ज़रूरी है।।