विधा आओ चले कहीं दूर देश
आओ चले कहीं दूर देश
पंख फैला विचरण करते
आओ चले कही दूर देश
हिंद का शांति संदेश पहुँचाते
चलो शांति दूत बन जाते
आओ चले कहीं दूर देश
विरानो को अपना बनाते
नवीन सुबह का गान करते
आओ चलें कहीं दूर देश
पंक्षी चहुँ ओर नवगीत गाते
उपवन को गुंजायमान करते
आओ चले कहीं दूर देश
अरुणोदय का स्वागत करते
छिप सूरज खेलता वृक्षों ओट
आओ चले कहीं दूर देश
**सज्जो चतुर्वेदी…..**********