--बेजुबान का दर्द --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
आज बेरोजगारों की पहली सफ़ में बैठे हैं
मईया के आने कि आहट
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*जनसमूह के मध्य साक्षात्कार-शैली की सफल प्रस्तुति के जन्मदात
कुछ समझ में ही नहीं आता कि मैं अब क्या करूँ ।
आजकल रिश्तें और मक्कारी एक ही नाम है।
बेवफा मैं कहूँ कैसे उसको बता,
पड़ते ही बाहर कदम, जकड़े जिसे जुकाम।
मिटता नहीं है अंतर मरने के बाद भी,
जहाँ सूर्य की किरण हो वहीं प्रकाश होता है,
Tum meri kalam ka lekh nahi ,
कुछ बिखरे ख्यालों का मजमा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
स्वयं में ईश्वर को देखना ध्यान है,
लड़कियों को विजेता इसलिए घोषित कर देना क्योंकि वह बहुत खूबसू
मेरे लिखने से भला क्या होगा कोई पढ़ने वाला तो चाहिए
हिन्दी दोहा-विश्वास
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आजकल लोग बहुत निष्ठुर हो गए हैं,
प्रेम.......................................................