तू सीमा बेवफा है
(शेर)- देखा था यह ख्वाब मैंने, मेरी दुनिया बसायेगी तू।
करेगी रोशन मेरे सपनें, मेरा साथ निभायेगी तू।।
लेकिन निकली तू बेवफा, और दुश्मन मेरे देश की।
तुमको मिलेगी सीमा सजा, अब बच नहीं पायेगी तू।।
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क्या कहूँ तेरी यह, करतूत देखकर।
मुझे जीने को नहीं छोड़ा, तूने सीमा हैदर।।
तू सीमा बेवफा है——————–(4)
क्या कहूँ तेरी यह———————।।
तुमने मुझसे बोला, झूठी तू नहीं है।
तू सच्चे दिल की है, पापी तू नहीं है।।
किया तुमने खून मेरा, दुश्मन बनकर।
मुझे जीने को छोड़ा, तूने सीमा हैदर।।
तू सीमा बेवफा है—————–(4)
क्या कहूँ तेरी यह——————।।
सच्चा साथी समझकर, अपने घर में लाया।
अपनी जान समझकर, ख्वाबों में बसाया।।
कर दिया बर्बाद मुझे, मेरे दिल से खेलकर।
मुझे जीने को नहीं छोड़ा, तूने सीमा हैदर।।
तू सीमा बेवफा है———————–(4)
क्या कहूँ तेरी यह———————-।।
चार बच्चों के संग तुम्हें, मेरे घर ने अपनाया।
अपनी भाभी समझकर, तुमको लाड़ लड़ाया।।
मेरी प्रेमिका के भेष में, तू आई जासूस बनकर।
मुझे जीना को नहीं छोड़ा, तूने सीमा हैदर।।
तू सीमा बेवफा है ———————(4)
क्या कहूँ तेरी यह ———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)