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5 Apr 2024 · 1 min read

विचित्र तस्वीर

रोज सिमट रहा खेत
सिमट रहा गॉंव
नित-निरन्तर सिमट रही
हवा पानी और छाँव।

मगर
दिन दूनी रात दस गुनी
होते जा रहे
शहरों का विस्तार,
देश के किसानों की दशा
एकदम तार-तार।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 54 Views
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