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28 Jan 2024 · 1 min read

मरती इंसानियत

इंसानियत अपनी खोता जा रहा है
रिश्ते निभाना न पडे इसलिए अपनो से दुर होता जा रहा।
जमीर और जज्बात उसके मरते जा रहे है
सुबह की ताजा खबर समझ कर
अखबार पढते जा रहे है।
पढकर खबर जोश अपना जताता है
दो चार बडी बडी बातें कर अपनों मै
इंसानियत का दावा करता जा रहा है
सोचता है” सोनु सुगंध” ये क्या होता जा रहा है
इंसान “इंसानियत नहीं इंसानों को खोता जा रहा है।
बात मेरी सीधी सरल हो गयीं,
इंसानियत भी अब मौका परस्त हो गयीं।

Language: Hindi
61 Views
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