“विचित्र जमाना”
बच्चों को हरफनमौला बनाने की
ऐसी हड़बड़ी ना रही
मानव सभ्यता के किसी दौर में,
माँ-बाप को छोड़
ऐसी चाहत कहाँ किसी और में?
उनका वश चले तो
गर्भ से निकलने के पहले ही
भेज दें बच्चों को
कोचिंग, ट्यूशन औ डांस क्लास में,
भर्ती करा दें उसे
मार्शल आर्ट या म्यूजिक क्लास में।
क्रिकेट, टेनिस और शतरंज की
महंगी एकेडमी में
सुपर स्टार बनाने की सोचते हैं,
ओलम्पियाड में भाग लेने की
गरज से वे ऐसा करते हैं,
जिन्दगी को बेरोकटोक फुर्सत से
जीने देने की बजाय
जल्द से जल्द आगे ढकेलने की
अति हड़बड़ी में वे दिखते हैं।
रोज की इस आपाधापी में ही
मासूमियत छुटती जाती है,
खूबसूरत बचपन की आबरू
बड़ी बेदर्दी से लुटती जाती है।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल
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