वन सहरा
वन। सहरा
अद्भुत विशाल भूमंडल पर,
बिखरे उपवन घने सहरा।
खड़े झूमते एक स्थान पर ,
मानो जैसे दे रहे पहरा।
शुष्क वातावरण में तुम्हें,
धूल गवार जकड़ लेते हैं।
वर्षा की रिमझिम फुहारे
तन तुम्हारा दो देते हैं।
फल फूल तुम्हीं से पाएं
पाएं पशुओं का चारा ।
फर्नीचर, इंधन तक मिलता, मिलता हर संभव सहारा ।
शुद्ध शीतल वायु है तुम्हीं से,
पाए मेघों की जलधारा।
तुम न होते मेघ नआते ,
सूखा रहता भूमंडल सारा।
वन्य जीव तुम्हीं पर निर्भर ,
तुम्हीं से जीवन पाते हैं।
कई छुपते तेरे आंचल में ,
कई घास पत्ते तेरे खाते हैं।
कई बस्ते तेरे कोटरों में ,
कई शाखा पर नीड़ बनाते हैं।
कई बस्ते तेरी घनी ओट में,
कई जोड़ों में बिल बनाते हैं।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हि० प्र०)