Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Mar 2020 · 1 min read

लोहे का दरवाजा लगाता है

बड़ा मगरूर बैठा है कहीं आता न जाता है
किसी के इश्क में शायद कोई सपना सजाता है

कहूँ क्या हाल दीवाने का जाकर देखिए साहिब
बनाकर झोपड़ी लोहे का दरवाजा लगाता है

खिली,बिखरी हुई ओझल कली संसार से लेकिन
उसी डाली पे आकर रोज भँवरा गुनगुनाता है

हजारों चेहरे हैं लेकिन निकलता है वही अपना
हमारे जख्म को जो देखकर के मुस्कुराता है

मिलन का हो जुनूँ चाहत में तो सब तोड़कर रस्में
समंदर जा के दरिया में स्वयं ही डूब जाता है

175 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*वंदे मातरम् (मुक्तक)*
*वंदे मातरम् (मुक्तक)*
Ravi Prakash
■ आज की बात
■ आज की बात
*प्रणय प्रभात*
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
भगतसिंह: एक जीनियस
भगतसिंह: एक जीनियस
Shekhar Chandra Mitra
⚜️गुरु और शिक्षक⚜️
⚜️गुरु और शिक्षक⚜️
SPK Sachin Lodhi
जिंदगी कि सच्चाई
जिंदगी कि सच्चाई
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जज्बात
जज्बात
अखिलेश 'अखिल'
तब जानोगे
तब जानोगे
विजय कुमार नामदेव
रंगीला संवरिया
रंगीला संवरिया
Arvina
Stop use of Polythene-plastic
Stop use of Polythene-plastic
Tushar Jagawat
कभी सरल तो कभी सख़्त होते हैं ।
कभी सरल तो कभी सख़्त होते हैं ।
Neelam Sharma
मैं उसका ही आईना था जहाँ मोहब्बत वो मेरी थी,तो अंदाजा उसे कह
मैं उसका ही आईना था जहाँ मोहब्बत वो मेरी थी,तो अंदाजा उसे कह
AmanTv Editor In Chief
3244.*पूर्णिका*
3244.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सच तो हम इंसान हैं
सच तो हम इंसान हैं
Neeraj Agarwal
फितरत
फितरत
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
सबका भला कहां करती हैं ये बारिशें
सबका भला कहां करती हैं ये बारिशें
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
एक सच ......
एक सच ......
sushil sarna
Interest
Interest
Bidyadhar Mantry
नारी और चुप्पी
नारी और चुप्पी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
दुःख  से
दुःख से
Shweta Soni
ग़ज़ल/नज़्म - शाम का ये आसमांँ आज कुछ धुंधलाया है
ग़ज़ल/नज़्म - शाम का ये आसमांँ आज कुछ धुंधलाया है
अनिल कुमार
সেই আপেল
সেই আপেল
Otteri Selvakumar
"तासीर"
Dr. Kishan tandon kranti
हमेशा गिरगिट माहौल देखकर रंग बदलता है
हमेशा गिरगिट माहौल देखकर रंग बदलता है
शेखर सिंह
परिपक्वता
परिपक्वता
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
नुकसान हो या मुनाफा हो
नुकसान हो या मुनाफा हो
Manoj Mahato
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
हरिगीतिका छंद
हरिगीतिका छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
ग्वालियर, ग्वालियर, तू कला का शहर,तेरी भव्यता का कोई सानी नह
ग्वालियर, ग्वालियर, तू कला का शहर,तेरी भव्यता का कोई सानी नह
पूर्वार्थ
६४बां बसंत
६४बां बसंत
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Loading...