बीते हुए दिनो का भुला न देना
राह पर चलते चलते घटित हो गई एक अनहोनी, थम गए कदम,
रोजाना आने लगे , बादल अब घनघोर (कुंडलिया)
महल चिन नेह का निर्मल, सुघड़ बुनियाद रक्खूँगी।
शादी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
शिव आदि पुरुष सृष्टि के,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
ज़ख्म दिल में छुपा रखा है
भीगी फिर थीं भारी रतियाॅं!
धड़कनो की रफ़्तार यूँ तेज न होती, अगर तेरी आँखों में इतनी दी
मुझे नहीं नभ छूने का अभिलाष।
जन्म दिन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर