लगन – कहानी
लगन – कहानी
एक गाँव में एक गरीब परिवार रहता था | निम्न जाति का होने के कारण उन्हें कोई भी काम नहीं देता था | भीख मांगकर यह परिवार अपनी गुजर – बसर कर रहा था | परिवार में माता – पिता के अलावा दो बच्चे चंचल और मानसी थे | चंचल बचपन से ही चंचल स्वभाव का था | पर मानसी उस्ससे कुछ अलग थी | बचपन से ही मानसी को पढ़ने का शौक था | घर पर ही उसे पहाड़ा और गिनती के साथ अक्षर ज्ञान की सस्ती पुस्तकें लाकर दे दी गयीं | पर मानसी को यह बता दिया गया कि किसी को भी इसके बारे में नहीं पता चलना चाहिए | नहीं तो हमारे परिवार पर मुसीबत आ जायेगी | मानसी मान गयी |
मानसी की पढ़ने की ललक के चलते वह गाँव के प्राइमरी स्कूल की कक्षाओं की खिड़की से पर खड़े होकर कक्षा में क्या पढ़ाई हो रही है उसे सुना करती थी | एक दो बार तो वह पकड़ी भी गयी और उसे डांट – फटकार कर भगा दिया गया | पर उसकी लगन के आगे कोई कुछ न कर सका | मानसी की पढ़ने की ललक को देखकर स्कूल के ही एक टीचर मनोज को मानसी के उज्वल भविष्य का आभास हो गया | उन्होंने बिना किसी को बताये मानसी को खिड़की से उनकी कक्षा में चल रही पढ़ाई को सुनने की इजाजत दे दी | और एक दिन उन्होंने उसके पिता को सुनसान जगह पर मिलने के लिए बुलाया ताकि कोई देख न सके | और उन्होंने मानसी के पिता से कहा कि आप मानसी का कक्षा पांचवी का फॉर्म भरने की मुझे इजाजत दे दें | फॉर्म में भर दूंगा और फीस भी जमा करवा दूंगा | मैं मानसी की प्रतिभा और लगन देखकर अचंभित हूँ और मैं चाहता हूँ कि मानसी आपके परिवार और समाज का नाम रोशन करे | यह सब सुन मानसी के पिता के हाथ – पाँव फूलने लगे | पर टीचर के बार – बार समझाने और निवेदन करने पर उन्होंने इसके लिए हामी भर दी | टीचर ने अपनी समझ से मानसी का परीक्षा केंद्र भी पास की तहसील के प्राइमरी स्कूल का भर दिया ताकि गाँव में कोई उन्हें परेशान न करे |
परीक्षा का समय आया तो टीचर महोदय ने मानसी और उसके पिता के रहने का इंतजाम भी पास के छात्रावास में करा दिया | परीक्षा अच्छी तरह से पूरी हो गयी | अब थी परीक्षा परिणाम की बारी | मानसी ने पूरी तहसील में पांचवी कक्षा में पहला स्थान प्राप्त किया | इसके बाद मानसी का हौसला और मजबूत हो गया | उसने स्कूल के टीचर का आशीर्वाद लिया और आगे पढ़ने की इच्छा जताई | शुरू में तो मानसी के पिता ने मना किया किन्तु टीचर मनोज जी और बेटी मानसी की जिद के आगे उन्हें हामी भरनी पड़ी | धीरे – धीरे मानसी ने बारहवीं कक्षा अच्छे अंकों से पास कर ली | यह सब उन टीचर महोदय की कोशिशों का परिणाम था जिन्होंने उसकी फीस और उन्हें तहसील के छात्रावास में जगह दिलाई ताकि पढ़ने और खाने – पीने में कोई समस्या न हो | मानसी टीचर महोदय की तरह ही एक सफल शिक्षिका बनना चाहती थी | ताकि वह निम्न वर्ग के बच्चों के लिए गाँवों में ही प्रवेश सुविधा और पढ़ाई की सुविधा सुनिश्चित कर सके | सो उसने ई. टी . टी. करने की इच्छा जताई | जिसे उन टीचर महोदय ने सहर्ष स्वीकार कर लिया और तहसील के ही एक शिक्षा संस्थान में उसका दाखिला करा दिया | मानसी ने मन लगाकर पढ़ाई की और इस कोर्स को भी सफलतापूर्वक पास कर लिया | इसके बाद उसने निम्न वर्ग के कोटे में प्राथमिक शिक्षिका के पद के लिए आवेदन किया और किस्मत से उसकी पोस्टिंग उसी स्कूल में हुई जिस स्कूल की खिड़की पर खड़े होकर वह अपनी पढ़ाई को अंजाम दिया करती थी | नौकरी ज्वाइन करने के कुछ दिनों के भीतर ही मानसी ने माननीय राष्ट्रपति महोदय को पत्र लिखा कि गाँवों में निम्न वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए उचित प्रबंध किये जाएँ और आवश्यक निर्देश जारी कराएं ताकि निम्न वर्ग के बच्चों को भी मुफ्त शिक्षा और भोजन मिल सके | इस पत्र में उसने अपने जीवन के संघर्षों के बारे में भी विस्तार से लिखा | साथ ही उन टीचर महोदय की सहृदयता का उल्लेख भी किया | माननीय राष्ट्रपति महोदय ने उस पत्र का संज्ञान लिया और निम्न वर्ग के बच्चों की पढ़ाई के लिए आवश्यक निर्देश जारी किये | साथ ही उन शिक्षक महोदय को राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया जिन्होंने मानसी के सपने को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई |
मानसी शिक्षा जगत के लिए एक मिसाल बन गयी | मानसी ने अपने सफल होने का श्रेय उन टीचर महोदय को दिया जिन्होंने पग – पग पर मानसी का मार्गदर्शन किया |