Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Apr 2023 · 3 min read

लगन – कहानी

लगन – कहानी

एक गाँव में एक गरीब परिवार रहता था | निम्न जाति का होने के कारण उन्हें कोई भी काम नहीं देता था | भीख मांगकर यह परिवार अपनी गुजर – बसर कर रहा था | परिवार में माता – पिता के अलावा दो बच्चे चंचल और मानसी थे | चंचल बचपन से ही चंचल स्वभाव का था | पर मानसी उस्ससे कुछ अलग थी | बचपन से ही मानसी को पढ़ने का शौक था | घर पर ही उसे पहाड़ा और गिनती के साथ अक्षर ज्ञान की सस्ती पुस्तकें लाकर दे दी गयीं | पर मानसी को यह बता दिया गया कि किसी को भी इसके बारे में नहीं पता चलना चाहिए | नहीं तो हमारे परिवार पर मुसीबत आ जायेगी | मानसी मान गयी |
मानसी की पढ़ने की ललक के चलते वह गाँव के प्राइमरी स्कूल की कक्षाओं की खिड़की से पर खड़े होकर कक्षा में क्या पढ़ाई हो रही है उसे सुना करती थी | एक दो बार तो वह पकड़ी भी गयी और उसे डांट – फटकार कर भगा दिया गया | पर उसकी लगन के आगे कोई कुछ न कर सका | मानसी की पढ़ने की ललक को देखकर स्कूल के ही एक टीचर मनोज को मानसी के उज्वल भविष्य का आभास हो गया | उन्होंने बिना किसी को बताये मानसी को खिड़की से उनकी कक्षा में चल रही पढ़ाई को सुनने की इजाजत दे दी | और एक दिन उन्होंने उसके पिता को सुनसान जगह पर मिलने के लिए बुलाया ताकि कोई देख न सके | और उन्होंने मानसी के पिता से कहा कि आप मानसी का कक्षा पांचवी का फॉर्म भरने की मुझे इजाजत दे दें | फॉर्म में भर दूंगा और फीस भी जमा करवा दूंगा | मैं मानसी की प्रतिभा और लगन देखकर अचंभित हूँ और मैं चाहता हूँ कि मानसी आपके परिवार और समाज का नाम रोशन करे | यह सब सुन मानसी के पिता के हाथ – पाँव फूलने लगे | पर टीचर के बार – बार समझाने और निवेदन करने पर उन्होंने इसके लिए हामी भर दी | टीचर ने अपनी समझ से मानसी का परीक्षा केंद्र भी पास की तहसील के प्राइमरी स्कूल का भर दिया ताकि गाँव में कोई उन्हें परेशान न करे |
परीक्षा का समय आया तो टीचर महोदय ने मानसी और उसके पिता के रहने का इंतजाम भी पास के छात्रावास में करा दिया | परीक्षा अच्छी तरह से पूरी हो गयी | अब थी परीक्षा परिणाम की बारी | मानसी ने पूरी तहसील में पांचवी कक्षा में पहला स्थान प्राप्त किया | इसके बाद मानसी का हौसला और मजबूत हो गया | उसने स्कूल के टीचर का आशीर्वाद लिया और आगे पढ़ने की इच्छा जताई | शुरू में तो मानसी के पिता ने मना किया किन्तु टीचर मनोज जी और बेटी मानसी की जिद के आगे उन्हें हामी भरनी पड़ी | धीरे – धीरे मानसी ने बारहवीं कक्षा अच्छे अंकों से पास कर ली | यह सब उन टीचर महोदय की कोशिशों का परिणाम था जिन्होंने उसकी फीस और उन्हें तहसील के छात्रावास में जगह दिलाई ताकि पढ़ने और खाने – पीने में कोई समस्या न हो | मानसी टीचर महोदय की तरह ही एक सफल शिक्षिका बनना चाहती थी | ताकि वह निम्न वर्ग के बच्चों के लिए गाँवों में ही प्रवेश सुविधा और पढ़ाई की सुविधा सुनिश्चित कर सके | सो उसने ई. टी . टी. करने की इच्छा जताई | जिसे उन टीचर महोदय ने सहर्ष स्वीकार कर लिया और तहसील के ही एक शिक्षा संस्थान में उसका दाखिला करा दिया | मानसी ने मन लगाकर पढ़ाई की और इस कोर्स को भी सफलतापूर्वक पास कर लिया | इसके बाद उसने निम्न वर्ग के कोटे में प्राथमिक शिक्षिका के पद के लिए आवेदन किया और किस्मत से उसकी पोस्टिंग उसी स्कूल में हुई जिस स्कूल की खिड़की पर खड़े होकर वह अपनी पढ़ाई को अंजाम दिया करती थी | नौकरी ज्वाइन करने के कुछ दिनों के भीतर ही मानसी ने माननीय राष्ट्रपति महोदय को पत्र लिखा कि गाँवों में निम्न वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए उचित प्रबंध किये जाएँ और आवश्यक निर्देश जारी कराएं ताकि निम्न वर्ग के बच्चों को भी मुफ्त शिक्षा और भोजन मिल सके | इस पत्र में उसने अपने जीवन के संघर्षों के बारे में भी विस्तार से लिखा | साथ ही उन टीचर महोदय की सहृदयता का उल्लेख भी किया | माननीय राष्ट्रपति महोदय ने उस पत्र का संज्ञान लिया और निम्न वर्ग के बच्चों की पढ़ाई के लिए आवश्यक निर्देश जारी किये | साथ ही उन शिक्षक महोदय को राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया जिन्होंने मानसी के सपने को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई |
मानसी शिक्षा जगत के लिए एक मिसाल बन गयी | मानसी ने अपने सफल होने का श्रेय उन टीचर महोदय को दिया जिन्होंने पग – पग पर मानसी का मार्गदर्शन किया |

1 Like · 150 Views
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all

You may also like these posts

2882.*पूर्णिका*
2882.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जब भी लिखता था कमाल लिखता था
जब भी लिखता था कमाल लिखता था
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
समुद्रर से गेहरी लहरे मन में उटी हैं साहब
समुद्रर से गेहरी लहरे मन में उटी हैं साहब
Sampada
रक्षाबन्धन
रक्षाबन्धन
Ayushi Verma
ऐ दोस्त जो भी आता है मेरे करीब,मेरे नसीब में,पता नहीं क्यों,
ऐ दोस्त जो भी आता है मेरे करीब,मेरे नसीब में,पता नहीं क्यों,
Dr. Man Mohan Krishna
जीवन बहुत कठिन है लेकिन तुमको जीना होगा ,
जीवन बहुत कठिन है लेकिन तुमको जीना होगा ,
Manju sagar
पूर्ण सफलता वर्तमान में मौजूद है हमें स्वयं के रूपांतरण पर ध
पूर्ण सफलता वर्तमान में मौजूद है हमें स्वयं के रूपांतरण पर ध
Ravikesh Jha
आवो रे मिलकर पौधें लगायें हम
आवो रे मिलकर पौधें लगायें हम
gurudeenverma198
👍एक ही उपाय👍
👍एक ही उपाय👍
*प्रणय*
*जीवन उसका ही धन्य कहो, जो गीत देश के गाता है (राधेश्यामी छं
*जीवन उसका ही धन्य कहो, जो गीत देश के गाता है (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
पोलियो अभियान
पोलियो अभियान
C S Santoshi
किसी के साथ वक्त बिताना एक अनमोल तोहफा है उसकी कद्र करके रिश
किसी के साथ वक्त बिताना एक अनमोल तोहफा है उसकी कद्र करके रिश
पूर्वार्थ
मैं सब कुछ लिखना चाहता हूँ
मैं सब कुछ लिखना चाहता हूँ
Neeraj Mishra " नीर "
महत्वपूर्ण यह नहीं कि अक्सर लोगों को कहते सुना है कि रावण वि
महत्वपूर्ण यह नहीं कि अक्सर लोगों को कहते सुना है कि रावण वि
Jogendar singh
जिंदगी रो आफळकुटौ
जिंदगी रो आफळकुटौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
आज़ाद परिंदे
आज़ाद परिंदे
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
मैं कभी किसी के इश्क़ में गिरफ़्तार नहीं हो सकता
मैं कभी किसी के इश्क़ में गिरफ़्तार नहीं हो सकता
Manoj Mahato
वो परिंदा, है कर रहा देखो
वो परिंदा, है कर रहा देखो
Shweta Soni
*हमारा छत्तीसगढ़ महान है*
*हमारा छत्तीसगढ़ महान है*
Krishna Manshi
इश्क का कमाल है, दिल बेहाल है,
इश्क का कमाल है, दिल बेहाल है,
Rituraj shivem verma
"उड़ान"
Yogendra Chaturwedi
-संयुक्त परिवार अब कही रहा नही -
-संयुक्त परिवार अब कही रहा नही -
bharat gehlot
भारत का लाल
भारत का लाल
Aman Sinha
‌‌भक्ति में शक्ति
‌‌भक्ति में शक्ति
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"वक्त के गर्त से"
Dr. Kishan tandon kranti
अंदर तेरे शक्ति अगर गंभीर है
अंदर तेरे शक्ति अगर गंभीर है
Priya Maithil
वो तेरा है ना तेरा था (सत्य की खोज)
वो तेरा है ना तेरा था (सत्य की खोज)
VINOD CHAUHAN
मंदिर में जाना जरुरी नहीं।
मंदिर में जाना जरुरी नहीं।
Diwakar Mahto
मैं कुछ नहीं चाहती
मैं कुछ नहीं चाहती
Jyoti Roshni
Loading...