विशाल सागर ……
विशाल सागर ……
सागर
तेरी वीचियों पर मैं
अपनी यादों को छोड़ आया हूँ
तेरे रेतीले किनारों पर
अपनी मोहब्बत छोड़ आया हूँ
तेरी लहरों पर
नृत्य करती चांदनी संग
अपने सपन छोड़ आया हूँ
अपनी ज़िद,अपने सारे
भरम छोड़ आया हूँ
बस साथ अपने
अपना आसमान लाया हूँ
कुछ सुलगते अरमान
कुछ स्पर्शों के तूफ़ान
कुछ भीगी कागज़ की कश्तियाँ
कुछ अबोली खामोशियाँ
साथ अपने लाया हूँ
बाकी सब
तेरे किनारों पर छोड़ आया हूँ
वो आये कभी
मेरे बाद तो
मेरा सामान उसे लौटा देना
और हाँ
तेरी लहरों को
मैं एक बूँद
अपने खारे सागर की
जो देकर आया था
वो भी उसे लौटा देना
एक दर्द को
आराम मिल जाएगा
तेरी मेहरबानी से
आशिक को
उसका मुक़ाम मिल जाएगा
सच ऐ सागर
फिर तू सच्चे मायने में
एक विशाल सागर कहलायेगा
सुशील सरना