रूपगर्विता
सिर्फ आईना ही नहीं
लोग भी बोलते
बहुत खूबसूरत है वो
उसकी इसी खूबसूरती ने
बहुआयामी व्यक्तित्व पर
चढ़ा दी अहंकार की पर्त,
हमराह बनने के लिए
पुरुष की सुन्दरता ही थी
उसकी मुख्य शर्त।
उसके इसी अहंकार ने
न जाने कितने
सुशील और काबिल लोगों को
अंगूठा दिखाया था,
पैंतीस के होने पर भी
कहीं रिश्ता जम न पाया था।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति