रूठी हूं तुझसे
रूठी हूं तुझसे, तुम्हें आ कर मनाना होगा।
बहुत सारा प्यार भी मुझ पर लुटाना होगा।
इतने कड़वे बोल क्यों, बोले है तू हरदम,
नीम कहां से इतनी खायी,ये बतलाना होगा।
ग़लती पहले करके,पाछै क्यों पछताये तू
इस बार न माफ ,तेरा कोई बहाना होगा।
मुझ में ग़र कमियां हैं,तुझ में भी तो हैं
जैसा भी हो , ऐसे ही साथ निभाना होगा।
बात मानें एक दूजे की, बच्चे अब नहीं रहे
आसान होगा जीवन, फिर न पछताना होगा।
सुरिंदर कौर