रिश्तों का सच
हर रिश्ते का एक ही सच है,सोचो यह सच दूजे को बतायेगा कौन।
सोचो जरा अपने अपने दिल की बातें एक दूजे को फिर समझाएगा कौन।।
आज की दरार कल खाई बनेगी जब,हो जाते हो तुम भी मौन और वह भी मौन।
यदि दोनों ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी,तो एक दूजे को समझाएगा कौन।।
तुम भी दुःखी और मैं भी दुःखी अब सोचो आगे हाथ बढ़ाएगा कौन।
जब दोनों ही नहीं राजी होंगे,तो सोचो एक दूजे को माफ कराएगा कौन।।
छोटी छोटी बातें यदि लगा लेंगे दिल पर तो अपने रिश्तों को निभाएगा कौन।
टूट की कगार पर पहुंचने से पहले माफ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन।।
अपने अपने अहम के कारण,यदि हम दोनों ही हो जायेंगें मौन।
क्या तुमने कभी यह सोचा है कि ऐसे समय में हमारे अहम को तोड़ेगा कौन।।
एक यदि कभी रूठ भी जाए तो दूसरे को उसको हर हाल में उसको मनाना है।
दोनों ही संग संग रूठ गए तो फिर सोचो तुम दोनों को मनाएगा कौन।।
कहे विजय बिजनौरी सोचो और समझो ये जीवन चार दिनों का मेला है।
अमल करने वाला रहे सुख से खुशी खुशी,जो अमल न करे वो अकेला है।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी