“रियायत”
“रियायत”
अगर समझ सको तो समझ लो,
कई- कई राज छुपे हैं इशारों में।
मौत कभी रियायत बरतती नहीं,
पहुँच जाती है हर किनारों में।
“रियायत”
अगर समझ सको तो समझ लो,
कई- कई राज छुपे हैं इशारों में।
मौत कभी रियायत बरतती नहीं,
पहुँच जाती है हर किनारों में।