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16 Feb 2024 · 1 min read

लगाव

देख तुझे यूं लगता है मुझे जैसे जन्मों का रिश्ता है।
यूं ही नहीं मिलाया रब ने,जाने क्यों वही फरिश्ता है।
बेचैन नजर बस ढूंढे तुझको कैसा बंध गया बंधन है।
मेरी दिल की धड़कन में सुनो जिक्र तुम्हारा रहता है।

हालत मेरी तुम क्या जानो यहां बहुत तुम्हारे अपने है।
मिली है मुझको बेचैनी हम तेरी यादों में लगे सिमटने है।
कैसा लगाव ये उल्फत का कोई शोर सा दिल में रहता है।
तेरे बिन हर ख्वाब अधूरा बस तुझमें ही लगे उतरने है।

स्वरचित एवम मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश

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