रास्ते है बड़े उलझे-उलझे
रास्ते है बड़े उलझे-उलझे,
चलना कितना मुश्किल है।
दिल है मेरा अब खाली-खाली,
दर्द को सहना अब मुश्किल है,
दूर बहुत है मन्जिल मेरी,
पग-पग चलना रुसवाई है।
रास्ते है बड़े उलझे-उलझे,
चलना कितना मुश्किल है।…।1।
प्यार तेरा जो दिल मे मेरे,
कैसे भूलू ये मुश्किल है,
देर बहुत अब हो गयी आने मे,
पथ मे ये रोड़े मिल रहे है।
रास्ते है बड़े उलझे-उलझे,
चलना कितना मुश्किल है।….।2।
जख़्म दिल के अब भरेंगे तब,
खोने का दर्द अब बाकि है,
रुकते नहीं ये आश्रु नयन के,
मिलने को तुझसे तरसते है।
रास्ते है बड़े उलझे-उलझे,
चलना कितना मुश्किल है।……।3।
मोड़ मे जब भी बिछड़ते है रास्ते,
सलामत रहे ये कहते है,
तन्हा रह कर गुजर जाएगा,
यादो के संग पहुंच जाएंगे।
रास्ते है बड़े उलझे-उलझे,
चलना कितना मुश्किल है।….।4।
मुश्किलें भरी हो कितना ये सफर,
तेरे प्यार के सहारे कट जाएगा,
बटेंगे नहीं ये राह मे मगर,
दिल चाहे मेरा ये टूट जाए।
रास्ते है बड़े उलझे-उलझे,
चलना कितना मुश्किल है।……।5।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।