चिरैया पूछेंगी एक दिन
चिरैया पूछेंगी एक दिन मेरा छज्जा किधर गया
तिनके तिनके से जोड़ा था वो छज्जा किधर गया
धूप में तप तप कर मैं लायी थी तिनका
बड़ी ही मेहनत से बनाया था एक छज्जा
खुशियां से भरा हुआ था मेरा एक छज्जा
बताओ तो प्यारे कहा गया मेरा वो छज्जा
पेड़ की वो डगना जिस पर बना था वो छज्जा
ना पेड़ दिख रहा है ना ही दिख रही है वो डगना
मेरे बच्चों तुम ने किधर किया है वो छज्जा
प्रेम से जीते थे और प्यार में रहते थे
उलझनों को यूं ही सुलझा लेते थे
हंसते थे गाते थे और मौज में रहते थे
मेरे बच्चों बताओ तुम ने किधर किया है वो छज्जा