“रात के बाद”
“रात के बाद”
ऐ शाम जरा ठहर
तू क्या क्या रंग दिखाती है
कभी रात कभी सुबह बन जाती है
पर हमने महसूसा है
रात के बाद सुबह जरूर आती है।
“रात के बाद”
ऐ शाम जरा ठहर
तू क्या क्या रंग दिखाती है
कभी रात कभी सुबह बन जाती है
पर हमने महसूसा है
रात के बाद सुबह जरूर आती है।