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10 Feb 2024 · 1 min read

माहिया – डी के निवातिया

माहिया
*******

सावन सूना जाए
तेरे बिन साज़न
बरखा मुझे ना भाये।।

***
ये सावन के झूलें
कहते है हर पल
तुमको कैसे भूलें ।।

***
पूछे मुझ से रातें,
सइयां ना समझे
मेरे मन की बातें ।।

***
देखा तुमको जब से
दिन हो चाहे रैन
मांगूँ तुमको रब से ।।

***
चाक़ू से न गोली से,
नफ़रत मरती है,
बस प्रीत की बोली से !!

!
डी के निवातिया

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