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7 Apr 2023 · 1 min read

तबकी बात और है,

तबकी बात और है,
ना करो तबकी बातें,
थे तब भी लेकिन,
जख्म हँसते ना थे।
होंगे सांप तब भी,
यकीनन आस्तीनों में,
रहते थे खामोश,
तब ये डसते ना थे ।।

@ नील पदम्

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