गिरमिटिया मजदूर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
चलो मौसम की बात करते हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बादल छाये, नील गगन में
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
पसंद तो आ गई तस्वीर, यह आपकी हमको
तुम नादानं थे वक्त की,
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
आया दिन मतदान का, छोड़ो सारे काम
जल रहे अज्ञान बनकर, कहेें मैं शुभ सीख हूँ
ध्यान में इक संत डूबा मुस्कुराए
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
खुद को इतना .. सजाय हुआ है
रमेशराज की पेड़ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
संसार का स्वरूप(3)
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
क्या? किसी का भी सगा, कभी हुआ ज़माना है।
********* प्रेम मुक्तक *********
51…..Muzare.a musamman aKHrab:: maf'uul faa'ilaatun maf'uul
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ाकर चले गए...