Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Mar 2024 · 1 min read

संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है

संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है तो बस ये कि हम तो हर हाल में खुश रहते हैं।

21 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shweta Soni
View all
You may also like:
कौन नहीं है...?
कौन नहीं है...?
Srishty Bansal
#आह्वान_तंत्र_का
#आह्वान_तंत्र_का
*Author प्रणय प्रभात*
दिल
दिल
Dr Archana Gupta
कितनी सलाखें,
कितनी सलाखें,
Surinder blackpen
* नव जागरण *
* नव जागरण *
surenderpal vaidya
जब हमें तुमसे मोहब्बत ही नहीं है,
जब हमें तुमसे मोहब्बत ही नहीं है,
Dr. Man Mohan Krishna
💐प्रेम कौतुक-563💐
💐प्रेम कौतुक-563💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जब तक प्रश्न को तुम ठीक से समझ नहीं पाओगे तब तक तुम्हारी बुद
जब तक प्रश्न को तुम ठीक से समझ नहीं पाओगे तब तक तुम्हारी बुद
Rj Anand Prajapati
बस नेक इंसान का नाम
बस नेक इंसान का नाम
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
चलो निकट से जाकर,मैया के दर्शन कर आएँ (देवी-गीत)
चलो निकट से जाकर,मैया के दर्शन कर आएँ (देवी-गीत)
Ravi Prakash
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
आज मन उदास है
आज मन उदास है
Shweta Soni
बेटी और प्रकृति से बैर ना पालो,
बेटी और प्रकृति से बैर ना पालो,
लक्ष्मी सिंह
बे मन सा इश्क और बात बेमन का
बे मन सा इश्क और बात बेमन का
सिद्धार्थ गोरखपुरी
पिता का पता
पिता का पता
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
लेकर सांस उधार
लेकर सांस उधार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
चांद ने सितारों से कहा,
चांद ने सितारों से कहा,
Radha jha
चलो
चलो
हिमांशु Kulshrestha
शब्द : एक
शब्द : एक
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
युक्रेन और रूस ; संगीत
युक्रेन और रूस ; संगीत
कवि अनिल कुमार पँचोली
.....,
.....,
शेखर सिंह
माणुष
माणुष
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
शराब
शराब
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ज़िंदगी को यादगार बनाएं
ज़िंदगी को यादगार बनाएं
Dr fauzia Naseem shad
2539.पूर्णिका
2539.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
ऐ जिंदगी....
ऐ जिंदगी....
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
संकल्प
संकल्प
Dr. Pradeep Kumar Sharma
नीरोगी काया
नीरोगी काया
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
की हरी नाम में सब कुछ समाया ,ओ बंदे तो बाहर क्या देखने गया,
की हरी नाम में सब कुछ समाया ,ओ बंदे तो बाहर क्या देखने गया,
Vandna thakur
Loading...