Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Feb 2024 · 1 min read

रंगमंच कलाकार तुलेंद्र यादव जीवन परिचय

छत्तीसगढ़ के हमर चिन्हारी रंगमंच कलाकार तुलेंद्र यादव जी का जन्म छोटे से गांव नेवधा में सन् २५जुलाई १९९१ को हुआ बचपन से गांव नेवधा में राम लीला में तुलेंद्र यादव जी ने अपने अभिनय का लोहा मनवाया है उन्होंने बहुत से अभिनय किया जैसे विश्वामित्र, अंगद, अक्षय कुमार, जिसमें उसका अभिनय अंगद सर्वश्रेष्ठ था इन्हीं योगदान के कारण लोक रंगमंच साहित्य में उनका प्रथम श्रेणी में आता है

Language: Hindi
199 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

कुछ हम लड़के भी है  जो सिर्फ या तो मां के प्रेम के अधीर इतने
कुछ हम लड़के भी है जो सिर्फ या तो मां के प्रेम के अधीर इतने
पूर्वार्थ
कवि
कवि
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
पुरुष कठोर होते नहीं
पुरुष कठोर होते नहीं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जनता को मूरख समझे म प्र सरकार
जनता को मूरख समझे म प्र सरकार
Dhirendra Singh
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
एक आकार
एक आकार
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
वाह मोदीजी...
वाह मोदीजी...
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
*समा जा दिल में मेरे*
*समा जा दिल में मेरे*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
कुछ कहना था
कुछ कहना था
Mr. Jha
"मेरी कलम से"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा पंचक. . . . शृंगार
दोहा पंचक. . . . शृंगार
sushil sarna
मां कृपा दृष्टि कर दे
मां कृपा दृष्टि कर दे
Seema gupta,Alwar
*ये दिन भी गुजर जाएंगे*
*ये दिन भी गुजर जाएंगे*
Shashank Mishra
..
..
*प्रणय*
पुष्प
पुष्प
इंजी. संजय श्रीवास्तव
*****सूरज न निकला*****
*****सूरज न निकला*****
Kavita Chouhan
2629.पूर्णिका
2629.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
ईश्वर से बात
ईश्वर से बात
Rakesh Bahanwal
छुपा रखा है।
छुपा रखा है।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
हम समझते थे खैर ख़्वाह जिसको
हम समझते थे खैर ख़्वाह जिसको
Dr fauzia Naseem shad
हर पल
हर पल
Davina Amar Thakral
रोज़ मायूसी से हर शाम घर जाने वाले...
रोज़ मायूसी से हर शाम घर जाने वाले...
Shweta Soni
सजल
सजल
Rashmi Sanjay
खूब  उलझता हूँ रिश्तों के जालों में।
खूब उलझता हूँ रिश्तों के जालों में।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*शिव विद्यमान तुम कण-कण में, प्रत्येक स्वरूप तुम्हारा है (रा
*शिव विद्यमान तुम कण-कण में, प्रत्येक स्वरूप तुम्हारा है (रा
Ravi Prakash
यह तापमान क्यों इतना है
यह तापमान क्यों इतना है
Karuna Goswami
कुछ आप भी तो बोलिए।
कुछ आप भी तो बोलिए।
Priya princess panwar
शिक्षक की भूमिका
शिक्षक की भूमिका
Shashi kala vyas
विगत दिवस जो रंग थे जीवन के अब दाग हो गए
विगत दिवस जो रंग थे जीवन के अब दाग हो गए
पं अंजू पांडेय अश्रु
Soft Toys for Kids | Soft Toys
Soft Toys for Kids | Soft Toys
Chotan
Loading...