Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jan 2025 · 1 min read

हम समझते थे खैर ख़्वाह जिसको

हम समझते थे खैर ख़्वाह जिसको
दिल- ए- तक़लीफ़ वो नहीं समझा
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

1 Like · 60 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all

You may also like these posts

यदि आपका दिमाग़ ख़राब है तो
यदि आपका दिमाग़ ख़राब है तो
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
*भोगों में जीवन बीत गया, सोचो क्या खोया-पाया है (राधेश्यामी
*भोगों में जीवन बीत गया, सोचो क्या खोया-पाया है (राधेश्यामी
Ravi Prakash
अब कौन-कौन परखेगा यूं हमें,
अब कौन-कौन परखेगा यूं हमें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शब्द जो कर दें निशब्द
शब्द जो कर दें निशब्द
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जज़्बात - ए बया (कविता)
जज़्बात - ए बया (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Sidhartha Mishra
भारत अध्यात्म का विज्ञान
भारत अध्यात्म का विज्ञान
Rj Anand Prajapati
*हुनर बोलता हैं *
*हुनर बोलता हैं *
Vaishaligoel
*सीता-स्वयंवर*
*सीता-स्वयंवर*
डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद"
3888.*पूर्णिका*
3888.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लिख के उंगली से धूल पर कोई - संदीप ठाकुर
लिख के उंगली से धूल पर कोई - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
औरों पर ठीकरे फोड़ने से ज़्यादा अच्छा है, ख़ुद के गिरहबान में झ
औरों पर ठीकरे फोड़ने से ज़्यादा अच्छा है, ख़ुद के गिरहबान में झ
*प्रणय प्रभात*
होली
होली
विवेक दुबे "निश्चल"
कभी कभी
कभी कभी
Mamta Rani
मंदिर नहीं, अस्पताल चाहिए
मंदिर नहीं, अस्पताल चाहिए
Shekhar Chandra Mitra
सुख- दुःख
सुख- दुःख
Dr. Upasana Pandey
*झूठ का तर्पण*
*झूठ का तर्पण*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
दोहा त्रयी. . . . . नवयुग
दोहा त्रयी. . . . . नवयुग
sushil sarna
” क्या फर्क पड़ता है ! “
” क्या फर्क पड़ता है ! “
ज्योति
आबाद मुझको तुम आज देखकर
आबाद मुझको तुम आज देखकर
gurudeenverma198
नारी के बिना जीवन, में प्यार नहीं होगा।
नारी के बिना जीवन, में प्यार नहीं होगा।
सत्य कुमार प्रेमी
बंदिश
बंदिश
Rajesh Kumar Kaurav
संस्कार
संस्कार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
प्यार  से  जो  है  आशना  ही  नहीं
प्यार से जो है आशना ही नहीं
Dr fauzia Naseem shad
आ अब जेहन में बसी याद का हिस्सा मुक़र्रर कर लेते हैं
आ अब जेहन में बसी याद का हिस्सा मुक़र्रर कर लेते हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मत्तगयंत सवैया (हास्य रस)
मत्तगयंत सवैया (हास्य रस)
संजीव शुक्ल 'सचिन'
पागलपन
पागलपन
भरत कुमार सोलंकी
विशाल अजगर बनकर
विशाल अजगर बनकर
Shravan singh
Loading...