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27 Sep 2024 · 1 min read

दोहा त्रयी. . . . . नवयुग

दोहा त्रयी. . . . . नवयुग

पीछे छूटी सभ्यता, नव युग हुआ महान।
बेशर्मी पर आज का, गर्व करे इंसान।।

झाँक रही परिधान से, अलज आज की लाज ।
स्वछंदता को देख कर, आहत हुआ समाज ।।

पश्चिम पहने आजकल, भारत के परिधान ।
युवा वर्ग अपना रहा, पश्चिम की पहचान ।।

सुशील सरना/27-9-24

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