“याद रहे”
“याद रहे”
————-
यह याद रहे
आसमान के तारे भी
अन्धेरे के बिना
चमक नहीं सकते।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
“याद रहे”
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यह याद रहे
आसमान के तारे भी
अन्धेरे के बिना
चमक नहीं सकते।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति