गाछ (लोकमैथिली हाइकु)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
" नम पलकों की कोर "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
विश्व सिंधु की अविरल लहरों पर
आओ तो सही,भले ही दिल तोड कर चले जाना
23/130.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
राम संस्कार हैं, राम संस्कृति हैं, राम सदाचार की प्रतिमूर्ति हैं...
यूं ही नहीं कहलाते, चिकित्सक/भगवान!
लोग महापुरुषों एवम् बड़ी हस्तियों के छोटे से विचार को भी काफ
गंदा है क्योंकि अब धंधा है
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कर्म से विश्वाश जन्म लेता है,
तेरे लहजे पर यह कोरी किताब कुछ तो है |
पहले साहब परेशान थे कि हिन्दू खतरे मे है
अक्सर लोगों को बड़ी तेजी से आगे बढ़ते देखा है मगर समय और किस्म