मै अपनी कलम से अपना किरदार लिखता हूँ…
जैसा हूँ… मै वैसे विचार लिखता हूँ…
मै अपनी कलम से अपना किरदार लिखता हूँ…
न कुछ कम न कुछ बढ़ा के लिखता हूँ…
पुरा सत्य और पुरा मन मै लिखता हूँ…
ख़ुद को ख़ुद बता के लिखता हूँ…
हृदय के बोल निश्छल मै लिखता हूँ…
जैसा हूँ… मै वैसे विचार लिखता हूँ…
मै अपनी कलम से अपना किरदार लिखता हूँ…
✍कुछ पंक्तियाँ मेरी कलम से : अरविन्द दाँगी “विकल”