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2 May 2024 · 2 min read

बहादुर बेटियाँ

कभी सरोजनी नायडू बनकर, स्वर वाटिका में क्रीड़ा दिखाती हैं।
कभी लता दीदी भावना लेके, इन कानों में मीठा गीत सुनाती हैं।
कभी मणिकर्णिका बनकर, रणभूमि वीरांगना का रूप दिखाऍं।
कभी आज़ाद हिंद फौज में, बढ़-चढ़कर वतन पे मर मिट जाऍं।

गौरवान्वित इतिहास की ये कथाऍं, हृदय को गर्व से भर देती हैं।
आज भारत की बहादुर बेटियाँ, असंभव को संभव कर देती हैं।

रानी के रण-कौशल की गाथा, हमें सुभद्रा के शब्द बतलाते हैं।
पवित्रता की सौगंध के गर्म अंगारे, जौहर के यज्ञों तक आते हैं।
भला कैसे भूलें नारी बलिदान, इतिहास के पन्ने आते हैं जगाने।
यों जलियांवाला बाग़ में, स्त्री आगे आई जान की बाज़ी लगाने।

त्याग को परिभाषित करते हुए, प्रत्येक युग में प्राण वर देती हैं।
आज भारत की बहादुर बेटियाँ, असंभव को संभव कर देती हैं।

मुगलों से लड़ते व भिड़ते, एक बेटी रानी दुर्गावती बन जाती है।
साधारण फौज के होते हुए भी, रानी मुगलों को धूल चटाती है।
ख़िलजी की ज़िद में एक पुत्री, ऐसे रानी पद्मावती तन जाती है।
अखण्ड अस्मिता की रक्षा हेतु, समस्त स्त्रियां यज्ञ में समाती हैं।

इस कारण कुल देवियाँ भी, इन्हें वरदान अजर व अमर देती हैं।
आज भारत की बहादुर बेटियाँ, असंभव को संभव कर देती हैं।

आज एक बेटी मिथाली बनकर, क्रिकेट जगत पे राज करती है।
तो कभी श्रेया घोषाल बनकर, शाश्वत संगीत के साज़ करती है।
जो बैडमिंटन कोर्ट में जाकर, पी.वी. सिन्धु हर दिन कमाल करे।
तो मैरी कॉम कर कमलों से, उजली ओलंपिक की मशाल करे।

यदि बेटियाँ मन में ठान लें, तो धमनियों में उत्साह भर लेती हैं।
आज भारत की बहादुर बेटियाँ, असंभव को संभव कर देती हैं।

कभी इच्छा कल्पना के कदमों से, चन्द्रमा के फलक तक जाए।
तो कभी बछेंद्री पाल बनकर, ऊॅंचे शिखरों को भी नीचे झुकाए।
यहाॅं कोई बेटी यूॅं हरनाज़ संधू बने, जिस पर हर कोई नाज़ करे।
कोई बेटी नीरजा भनोट बनकर, आकाश से ऊॅंची परवाज़ भरे।

बेटियाँ तो प्रतिभा के दम पे ही, हर क्षेत्र में अपना असर देती हैं।
आज भारत की बहादुर बेटियाँ, असंभव को संभव कर देती हैं।

कभी कुश्ती रिंग में उतरकर, साक्षी मलिक स्वर्ण का पदक ले।
बने अपने खेल की महारथी, रिंग में अच्छे अच्छों को पटक दे।
तो कभी मंधाना के रूप में, वो सबकी स्मृति में नित्य छाई रहे।
खेल से राष्ट्र का मान बढ़ाए, घर के द्वार पे हर वक्त बधाई रहे।

अब बेटियों के हुनर की कलम भी, नित नए शब्द प्रखर देती हैं।
आज भारत की बहादुर बेटियाँ, असंभव को संभव कर देती हैं।

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