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2 May 2024 · 1 min read

मैं प्रेम लिखूं जब कागज़ पर।

मैं प्रेम लिखूं जब कागज पर,
तुम शब्द बन कर आ जाना।
मैं गीत सजाउं होठो पर,
तुम साज बन के आ जाना।

इन फसलों को रहने दो,
इन दूरियों को सहने दो,
न मिलने की कोई आस रहे,
न आंखों में कोई प्यास रहे।

मैं आंख जो मुदुं रातों में
तुम ख्वाब बन के आ जाना।
मैं प्रेम लिखूं जब कागज पर
तुम शब्द बन कर आ जाना।

यूं चलने दो जीवन का सफर,
मुझे रहने दो खुद से बेखबर,
बना रहे थोड़ा सा वहम,
ना खोने पाने का हो भरम,

मैं राह निहारुं शामों में,
तुम मंजिल बन के आ जाना,
मैं प्रेम लिखूं जब कागज पर
तुम शब्द बन कर आ जाना।

लक्ष्मी वर्मा ‘प्रतीक्षा’
खरियार रोड, ओड़िशा

Language: Hindi
1 Like · 23 Views
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