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18 Feb 2024 · 1 min read

*** हम दो राही….!!! ***

“” कुछ साल पहले की ये सफ़र…
न था पहले से, कुछ खबर…!
न मुझे पता, न तुम्हें पता भी कुछ पता..
है ये कैसा डगर..!
लेकिन…! चल पड़े, हम दोनो…
बन के एक हमसफ़र…!
इस सफ़र में…
कुछ ठहराव होगा, ठहरेंगे…!
कुछ बिखराव होंगे, न बिखरेंगे…!
लेकिन हम न रूकेंगे…!!
क्या है उम्र इस रिश्ते की…?
हमें कुछ खबर नहीं…!
क्या है सच्चाई इस रिश्ते की…?
मुझे या तुम्हें कुछ पता नहीं…!
क्या है असर…
मौजूदा स्थिति में, इस रिश्ते की..?
हमें कुछ ग़म नहीं…!
पर… साथ चलते हैं…
एक जुनून लेकर…!
साथ चलते हैं…!
नेक-अनेक अरमान लेकर…!
चलते रहेंगे, इस सफ़र में…
समझौते की गाड़ी में सवार होकर…!
आज…
ये जो तुम्हारे-मेरे जवानी की तस्वीर है…
कल…
उसमें भी बुढ़ापे की अनेक लकीरें होंगी…!
न होगा कोई साथ…
अंततः हम दोनो ही आस-पास होंगे,
जो थामेगा इन झुर्रियों वाले हाथ…!
अकेलेपन की आहट होगी…
तिरस्कारों की सनसनाहट होगी…!
और न कोई अपना साथ साथ होगा..
लेकिन…!
तुम्हें थामने, मेरे झुर्रियों वाले हाथ होगा…!
थरथराते, मेरे हाथों में…
तेरी झुमके, तेरे पहनावे-लिबास होंगे…!
न इसमें सौदे की कोई बात होगी…
न अनुबंध वाली कोई जज़्बात होगी…!
अनवरत चलेंगे…
एक राही बनकर…!
एक अच्छे हमसफ़र बनकर….!! “”

***********∆∆∆**********

Language: Hindi
83 Views
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