“मैं प्रभात का नवसृजन”
मैं प्रभात का नवसृजन; जीवनचक्र की परिभाषा,
नहीं रुकता समय का पहिया; बस उतरार्द्ध दर्शाता।
गर्भ में ले कल की गरिमा;
जो इस चक्र को समझ जाता,
पथ फिर निर्जन; चाहे निर्बल जितना;
काल की जय बस लिख जाता;
हाँ लिख जाता।
मैं प्रभात का……….नव सृजन ☀️?
©दामिनी ✍? ? ☀️