Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jun 2016 · 1 min read

मैं और मेरे चार यार

मैं और मेरे चार यार
कुछ किस्से मस्ती भरे
कुछ नोक झोक, कुछ तकरार

कुछ गीत पुराने बजते थे
कुछ सपने सुहाने सजते थे
शाम सुबह कब होती थी
ये ध्यान किसे तब रहता था
कुछ फिल्में पुरानी होती थीं
कुछ नए फ़साने होते थे

वो समय ना जाने कहाँ गया
वो बिसरे ज़माने लगते हैं
जो बीत गए क्या लम्हे थे
वो यार ना जाने कहाँ गए

मन में है उम्मीद बड़ी
फिर बैठेंगे सब साथ कभी
बातें जमकर होंगी तब
और खूब फ़साने बिखरेंगे
फिर से होगी मस्ती की बौछार
जब मिल बैठेंगे
मैं और मेरे चार यार
–प्रतीक

Language: Hindi
404 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गणेश जी पर केंद्रित विशेष दोहे
गणेश जी पर केंद्रित विशेष दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अपने और पराए
अपने और पराए
Sushil chauhan
23/175.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/175.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
फितरत
फितरत
Dr fauzia Naseem shad
स्कूल कॉलेज
स्कूल कॉलेज
RAKESH RAKESH
आप जितने सकारात्मक सोचेंगे,
आप जितने सकारात्मक सोचेंगे,
Sidhartha Mishra
దీపావళి కాంతులు..
దీపావళి కాంతులు..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
बिछड़ कर तू भी जिंदा है
बिछड़ कर तू भी जिंदा है
डॉ. दीपक मेवाती
"चलना और रुकना"
Dr. Kishan tandon kranti
लाख बड़ा हो वजूद दुनियां की नजर में
लाख बड़ा हो वजूद दुनियां की नजर में
शेखर सिंह
गये ज़माने की यादें
गये ज़माने की यादें
Shaily
सच तो तेरा मेरा प्यार हैं।
सच तो तेरा मेरा प्यार हैं।
Neeraj Agarwal
प्यार का इम्तेहान
प्यार का इम्तेहान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
शकुनियों ने फैलाया अफवाहों का धुंध
शकुनियों ने फैलाया अफवाहों का धुंध
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
ज़हर क्यों पी लिया
ज़हर क्यों पी लिया
Surinder blackpen
सतरंगी आभा दिखे, धरती से आकाश
सतरंगी आभा दिखे, धरती से आकाश
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कुछ आदतें बेमिसाल हैं तुम्हारी,
कुछ आदतें बेमिसाल हैं तुम्हारी,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
गंगा काशी सब हैं घरही में.
गंगा काशी सब हैं घरही में.
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
कवि दीपक बवेजा
लड़की की जिंदगी/ कन्या भूर्ण हत्या
लड़की की जिंदगी/ कन्या भूर्ण हत्या
Raazzz Kumar (Reyansh)
■ मौलिकता का अपना मूल्य है। आयातित में क्या रखा है?
■ मौलिकता का अपना मूल्य है। आयातित में क्या रखा है?
*Author प्रणय प्रभात*
सुन सको तो सुन लो
सुन सको तो सुन लो
Shekhar Chandra Mitra
मुस्कुराना चाहते हो
मुस्कुराना चाहते हो
surenderpal vaidya
बहारों कि बरखा
बहारों कि बरखा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
इस टूटे हुए दिल को जोड़ने की   कोशिश मत करना
इस टूटे हुए दिल को जोड़ने की कोशिश मत करना
Anand.sharma
!! कोई आप सा !!
!! कोई आप सा !!
Chunnu Lal Gupta
Mai apni wasiyat tere nam kar baithi
Mai apni wasiyat tere nam kar baithi
Sakshi Tripathi
बच्चा जो पैदा करें, पहले पूछो आय ( कुंडलिया)
बच्चा जो पैदा करें, पहले पूछो आय ( कुंडलिया)
Ravi Prakash
कहना तो बहुत कुछ है
कहना तो बहुत कुछ है
पूर्वार्थ
यह नफरत बुरी है ना पालो इसे
यह नफरत बुरी है ना पालो इसे
VINOD CHAUHAN
Loading...