मैं आग नही फिर भी चिंगारी का आगाज हूं,
मैं आग नही फिर भी चिंगारी का आगाज हूं,
मैं पानी नही फिर भी बहता हुआ सैलाब हूं,
मैं हवा नहीं फिर भी उठता हुआ तूफान हूं,
मैं उजाला नहीं फिर भी जलती मशाल हूं,
मैं भगवान नही फिर भी भगवान से कम नही हूं,
मैं जिंदा नही फिर भी विचारो में जिंदा हूं,
मैं अमर नही फिर भी विचारो से अमर हूं,
मैं बिरसा हूं, क्रांति के सैलाब में दहाड़ती आवाज हूं।।
जय बिरसा, जय जोहार जय आदिवासी
:राकेश देवडे़ बिरसावादी