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4 Nov 2019 · 1 min read

मे अपनो से दूर लिखूँ या पास लिखूँ

सोचता हूँ आज कुछ क्या खास लिखूँ,
नर नारी की रंग बिरंगी रास लिखूँ

न जाने कलयुग की लीला कैसी है
मैं अपनो से दूर लिखूँ या पास लिखूँ

यहां भाई भाई के भौंख रहा है खंजर
कब कैसी मैं किसकी किससे आस लिखूँ

ना सोचना “कृष्णा” कि तू क्यो उदास है
मैं हुस्नकीपरी को जीते जी लास लिखूँ
✍कृष्णकान्त गुर्जर धनौरा

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