Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Sep 2023 · 2 min read

घर बाहर जूझती महिलाएं(A poem for all working women)

ऑफिस से आकर मैं आराम करता हूँ, वो घर का काम करती है,
घर देखकर मेरी थकावट बढ़ जाती है, और उसकी जैसे उतर जाती है।।

मैं बिस्तर पर सिमट जाता हूँ, वो घर के हर कौने में फैल जाती है,
मुझे आँखों में थकान दिखती है, उसे घर के कौने में धूल और जाली दिखती है।।

इतनी हिम्मत पता नहीं उसमें कहाँ से आती है,
मैं थक कर चूर होता हूँ, वो पानी पिलाकर चाय बनाती है।।

गरमागरम चाय का मैं एक एक घूँट आराम से पीता हूँ,
ठंडी हो रही चाय उसका बेसब्री से इंतजार करती है।।

वो खाना तैयार करती है, मैं दफ्तर में हुई बातों पर बड़बड़ाता हूँ,
ना वो परेशान दिखती है, घर एवं दफ्तर में वो भी काम करती है।।

उसे देखकर बच्चे मुस्कुराते हैं, उसके गले से चिपक जाते हैं,
मुझे देखकर बच्चे मुँह बनाते है, और डर कर भाग जाते हैं।।

वो थोड़ा सा लेट जाती है, बच्चे खेलते झगड़ते चीख पड़ते हैं,
मैं बच्चों में दो-चार जड़ता हूँ, वो उठकर उनको प्यार करती है।।

मैं कपड़े गंदे कर फेंक देता हूँ, लंच बॉक्स बैग में रखा छोड़ देता हूँ,
वो घर की हर गंदगी उठाती है, झाड़ू लगाती है और गंदे कपड़े साफ करती है।।

उसे मालूम है मेरे स्वाद की सब्जी कैसे बनती है, वो उतनी ही पतली रोटी बनाती है,
मुझे गरमागरम खिलाती है और खुद ठंडे आधे-पूरे भोजन में ही संतुष्टि पाती है।।

दफ्तर की बातों को वहीं छोड़कर आती है, घर वो पत्नी और माँ बनकर आती है,
मैं दफ्तर की बातों उलझा रहता हूँ, दफ्तर-राजनीती की खुंदस बच्चों बीबी पर निकालता हूँ।।

वो पैसा कमाती ना खुद से खर्च करती है मुझे मालिक बनाती है,
मैं पैसा कमाता हूँ, शराब सिगरेट बेफिक्र होकर पीता हूँ।।

मिला क्या औरत को आजादी में, पुरुषों से हुई बराबरी में,
घर में वही जिल्लत जारी है, बाहर भी हो रही शिकार बेचारी है।।

prAstya…{प्रशांत सोलंकी}

Language: Hindi
2 Likes · 867 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
View all
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-337💐
💐प्रेम कौतुक-337💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जब मित्र बने हो यहाँ तो सब लोगों से खुलके जुड़ना सीख लो
जब मित्र बने हो यहाँ तो सब लोगों से खुलके जुड़ना सीख लो
DrLakshman Jha Parimal
*रामपुर रियासत में बिजली के कनेक्शन*
*रामपुर रियासत में बिजली के कनेक्शन*
Ravi Prakash
हल्ला बोल
हल्ला बोल
Shekhar Chandra Mitra
इंसानियत का एहसास
इंसानियत का एहसास
Dr fauzia Naseem shad
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
Poonam Matia
किया है तुम्हें कितना याद ?
किया है तुम्हें कितना याद ?
The_dk_poetry
"तोता"
Dr. Kishan tandon kranti
भावुक हुए बहुत दिन हो गए
भावुक हुए बहुत दिन हो गए
Suryakant Dwivedi
बेटी
बेटी
Dr Archana Gupta
नव उल्लास होरी में.....!
नव उल्लास होरी में.....!
Awadhesh Kumar Singh
धीरे धीरे बदल रहा
धीरे धीरे बदल रहा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मैं हर चीज अच्छी बुरी लिख रहा हूॅं।
मैं हर चीज अच्छी बुरी लिख रहा हूॅं।
सत्य कुमार प्रेमी
हीरा उन्हीं को  समझा  गया
हीरा उन्हीं को समझा गया
दुष्यन्त 'बाबा'
Forget and Forgive Solve Many Problems
Forget and Forgive Solve Many Problems
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
हाइकु शतक (हाइकु संग्रह)
हाइकु शतक (हाइकु संग्रह)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मेरे दिल में मोहब्बत आज भी है
मेरे दिल में मोहब्बत आज भी है
कवि दीपक बवेजा
बिना अश्क रोने की होती नहीं खबर
बिना अश्क रोने की होती नहीं खबर
sushil sarna
जो हुआ वो गुज़रा कल था
जो हुआ वो गुज़रा कल था
Atul "Krishn"
ग्वालियर की बात
ग्वालियर की बात
पूर्वार्थ
तुम कभी यह चिंता मत करना कि हमारा साथ यहाँ कौन देगा कौन नहीं
तुम कभी यह चिंता मत करना कि हमारा साथ यहाँ कौन देगा कौन नहीं
Dr. Man Mohan Krishna
जी रहे है तिरे खयालों में
जी रहे है तिरे खयालों में
Rashmi Ranjan
गलतियां सुधारी जा सकती है,
गलतियां सुधारी जा सकती है,
Tarun Singh Pawar
मोहब्बत है अगर तुमको जिंदगी से
मोहब्बत है अगर तुमको जिंदगी से
gurudeenverma198
रामदीन की शादी
रामदीन की शादी
Satish Srijan
बाप की गरीब हर लड़की झेल लेती है लेकिन
बाप की गरीब हर लड़की झेल लेती है लेकिन
शेखर सिंह
मेरी खूबसूरती बदन के ऊपर नहीं,
मेरी खूबसूरती बदन के ऊपर नहीं,
ओसमणी साहू 'ओश'
हमारे प्यारे दादा दादी
हमारे प्यारे दादा दादी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*Author प्रणय प्रभात*
अपनी हीं क़ैद में हूँ
अपनी हीं क़ैद में हूँ
Shweta Soni
Loading...