Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Nov 2022 · 3 min read

*कोसी नदी के तट पर गंगा स्नान मेला 8 नवंबर 2022*

कोसी नदी के तट पर गंगा स्नान मेला 8 नवंबर 2022
____________________________
कोसी नदी के तट से जब मेला घूम कर घर आए तो दोपहर के बारह बजे थे। मन प्रसन्न था । न जाने कितने वर्ष बाद नदी के तट पर जाकर फूल चढ़ाने तथा गंगा-मैया को प्रणाम करने का अवसर मिला । वरना तो नदी इतनी दूर रहती है कि जाना कठिन हो जाता है ।
इस बार रास्ता साफ-सुथरा और पक्का था । रामलीला मैदान से होते हुए जब आगे बढ़े तो पक्की सड़क पर आगे बढ़ते ही चले गए । अनुमान लगने लगा था कि नदी ज्यादा दूर नहीं है । आगे चलकर कच्ची मिट्टी का रास्ता था । जमीन थोड़ी दलदली थी । चलते समय ऐसा लग रहा था मानो गुदगुदे गद्दों पर पैर रखकर हम आगे बढ़ रहे हैं । उसी रास्ते पर भीड़ चलती जा रही थी। हमारी ई-रिक्शा जहॉं तक गई, हमने उसका प्रयोग किया। रामलीला मैदान पर भी मेला था लेकिन हमारा गंतव्य नदी का तट था ।
नदी के तट पर पहुॅंचकर बहती हुई नदी देखकर ऐसा लगा जैसे हमने मनवांछित वस्तु प्राप्त कर ली हो। झटपट एक दुकान से गेंदें के कुछ फूल एक दोने में खरीदे और उन्हें गंगा-मैया को समर्पित कर दिया । नदी में यद्यपि काफी लोग नहा रहे थे, किंतु हमारा तो ऐसा कोई इरादा ही नहाने का नहीं था । खैर, नदी का तट सदैव से दर्शनीय माना गया है । इस बार भी बहती हुई नदी का आकर्षण अलग ही था।
नदी के तट पर कुछ शिविर सरकारी थे, जिनमें अधिकारीगण विराजमान थे । यह शिविर साफ-सफाई की दृष्टि से अपनी छटा अलग बिखेर रहे थे, जबकि कुछ परंपरागत तरीके के शिविर भी थे । इनमें जनता की भीड़ थी। भोजन आदि का प्रबंध था । भजन-कीर्तन भी चल रहे थे ।
मेले में बेसन के सेव आदि की बिक्री बड़े पैमाने पर चल रही थी । कई तरह के बेसन के सेव सजाकर दुकानदारों ने रख लिए थे । जलेबी और पकोड़ी की दुकानों की भरमार थी । गन्ने का रस कितने ठेले पर बिक रहा था, इसकी गिनती लगभग असंभव थी । कुछ लकड़ी के सामान बेचे जा रहे थे । हलवा-परॉंठा भी दो-तीन दुकानों पर बिक रहा था।
बच्चों के मनोरंजन के कई साधन उपलब्ध थे। हम दोनों पति-पत्नी के साथ हमारा चार वर्ष का पोता रेयांश भी आया था । उसने ट्रेन में बैठकर एक चक्कर लगाया । उसके बाद एक आइटम कार का था । उसका भी चक्कर लगाया। एक उछलने वाला आइटम था। उस पर भी दो-चार मिनट का आनंद रेयांश ने लिया । एक फिरकी रेयांश को पसंद आई । वह लौटते समय रिक्शा में उसके हाथ में थी । जब हवा चली और फिरकी घूमने लगी, तो रेयांश को बहुत मजा आया । उसकी समझ में फिरकी के घूमने का रहस्य तुरंत आ गया । कहने लगा -“यह फिरकी हवा चलने से चल रही है।”
जब हम दोपहर बारह बजे लौटे, तब आने वालों की भीड़ थोड़ा बढ़ गई थी । वातावरण में धूल के कण कुछ ज्यादा घने हो गए थे । किंतु धूल, भीड़ और मस्ती -इन्हीं सब को तो मेला कहते हैं ।
लौटते समय हमारी ई-रिक्शा ने अलग रास्ता लिया । इस बार रामलीला मैदान के आगे से आने के स्थान पर घाटमपुर के प्राइमरी-स्कूल के आगे से रिक्शा ने मुख्य सड़क का रास्ता पकड़ा । इस रास्ते पर तमाम नए मकानों का जाल बिछा हुआ है । खूब चहल-पहल है। शहर लगातार फैल रहा है और उसका विस्तार गॉंवों की तरफ बढ़ता जा रहा है। कुल मिलाकर कोसी पास आ गई और गंगा-दर्शन सुलभ हो गया ।
———————————-
लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

1 Like · 214 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
*हे शारदे मां*
*हे शारदे मां*
Dr. Priya Gupta
आपका समाज जितना ज्यादा होगा!
आपका समाज जितना ज्यादा होगा!
Suraj kushwaha
दो अपरिचित आत्माओं का मिलन
दो अपरिचित आत्माओं का मिलन
Shweta Soni
गुलाबों सी महक है तेरे इन लिबासों में,
गुलाबों सी महक है तेरे इन लिबासों में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"फ़िर से आज तुम्हारी याद आई"
Lohit Tamta
12. *नारी- स्थिति*
12. *नारी- स्थिति*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
उजले दिन के बाद काली रात आती है
उजले दिन के बाद काली रात आती है
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"समय का महत्व"
Yogendra Chaturwedi
उससे तू ना कर, बात ऐसी कभी अब
उससे तू ना कर, बात ऐसी कभी अब
gurudeenverma198
"चापलूसी"
Dr. Kishan tandon kranti
जो दिमाग़ तुमसे करवाना चाहता है वो तुम दिल से कर नहीं पाओगे,
जो दिमाग़ तुमसे करवाना चाहता है वो तुम दिल से कर नहीं पाओगे,
Ravi Betulwala
...
...
*प्रणय*
No love,only attraction
No love,only attraction
Bidyadhar Mantry
काफी ढूंढ रही थी में खुशियों को,
काफी ढूंढ रही थी में खुशियों को,
Kanchan Alok Malu
अस्थिर मन
अस्थिर मन
Dr fauzia Naseem shad
वो प्यार ही क्या जिसमें रुसवाई ना हो,
वो प्यार ही क्या जिसमें रुसवाई ना हो,
रुपेश कुमार
Be with someone who motivates you to do better in life becau
Be with someone who motivates you to do better in life becau
पूर्वार्थ
दोहा निवेदन
दोहा निवेदन
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
नए साल का सपना
नए साल का सपना
Lovi Mishra
दोहा त्रयी. . . . .
दोहा त्रयी. . . . .
sushil sarna
राम
राम
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
हां राम, समर शेष है
हां राम, समर शेष है
Suryakant Dwivedi
अच्छे समय का
अच्छे समय का
Santosh Shrivastava
*काल क्रिया*
*काल क्रिया*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
केवल “ॐ” कार है
केवल “ॐ” कार है
Neeraj Mishra " नीर "
*जीवन का सार यही जानो, सच्चाई जीवन में घोलो (राधेश्यामी छंद
*जीवन का सार यही जानो, सच्चाई जीवन में घोलो (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
मैं खुशियों की शम्मा जलाने चला हूॅं।
मैं खुशियों की शम्मा जलाने चला हूॅं।
सत्य कुमार प्रेमी
🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम।
🪔🪔दीपमालिका सजाओ तुम।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
मै अकेला न था राह था साथ मे
मै अकेला न था राह था साथ मे
Vindhya Prakash Mishra
3092.*पूर्णिका*
3092.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...