मेरे पिताजी
मेरे पिताजी
अपने बच्चे से कभी मुंह न
मोड़े।
विपत्ति में भी साथ न छोड़े।
तपती दोपहरी पत्थर तोड़े।
सूरज से भी मुंह न मोड़े
बड़े बड़े गोलों को तोड़े।
अपने बच्चों को स्कूल छोड़े।
सोनू मोनू के कान मरोड़े।
अपने बच्चे से…….
क का कि की सब पढ़ाए।
अपने बच्चों को आसमान चढ़ाए ।
जग में अपना मान बढ़ाए ।
पिता होने का फर्ज निभाये
अपने बच्चे से…….
गलती में चार सोंटे लगाए।
जोड़ घटाव भाग गुणा बताए।
बीस तक पहाड़ा भी रटाए।
परीक्षा में फेल होने से बचाएं।
अपने बच्चे से………
अपना काम कभी न छोड़े।
पिता होने का मर्यादा न तोड़े ।
सच्ची राह सदैव बताए।
अपना भाग्य स्वयं बनाए।
अपने बच्चे से…….
रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
शिक्षक जिला दुर्ग