मेरे चांद है पिता
मेरे चांद हैं पिता
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जीवन के अंधकार में,रोशनी भरकर।
स्वर्णिम प्रकाश फैलाकर,
आशा का चिराग जलाते !
वो तुम हो!!!
मेरे चांद हैं पिता——-
जब भी घोर निराशा छाई,
तुमने ही मुझको आत्मबल दे।
शक्ति और साहस से भरा,
अटल हिमालय सा हो,
छा जाओ दुनिया में
यही एक पाठ पढ़ाया।।
तुम ही मेरी शक्ति हो पिता——-
में कभी भी टूटी हूं तो ,
तुमने ही भावनाओ की वेदना
को समझा।
और मेरे बंजर सपनों को पूरा कर,
उनको आबाद किया पापा,
तुम ही अंधकार के चांद हो!!!!
तुम ही मेरा प्रबल साहस हो पापा—-
सुषमा सिंह *उर्मि,,
कानपुर