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5 Sep 2022 · 1 min read

मेरे गुरू मेरा अभिमान

ज्ञान रूपी धन देकर जिसने ,
हमें विद्वान बनाया।
अज्ञानता को दूर कर जिसने,
हमारे जीवन ज्ञान की ज्योत जलाया।
अन्धकार भरे हमारे जीवन में
जिसने प्रकाश फैलाया।
दुनिया के चीजों से जिसने,
हमें पहचान कराया।
सही- गलत का निर्णय लेना,
जिसने हमें सिखाया।
रूप अनेकों धरकर जिसने
हमें पग-पग पर राह दिखाया।
कभी माँ के रूप में,
कभी पिता के रूप में,
कभी शिक्षक के रूप में,
तो कभी मार्गदर्शक के रुप में ,
गुरू बनकर हमारे जीवन में
जिदंगी का पाठ समझाया।
मेरा जीवन बने आसान ,
इसलिए उन्होनें हर मुश्किल को,
अपने ऊपर उठाया।
जीवन में हमारी अपनी पहचान हो
इस लायक उन्होंने हमें बनाया।
आज जहाँ भी हूँ मैं,
उन सभी का ही आशिर्वाद है।
उन गुरुओं के चरणों में है
मेरा शत-शत बार प्रणाम।
हमें हमारे गुरुओं पर
बहुत-बहुत अभिमान है।

अनामिका

Language: Hindi
6 Likes · 8 Comments · 262 Views
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