फ़कत इसी वजह से पीछे हट जाते हैं कदम
फ़कत इसी वजह से, पीछे हट जाते हैं कदम।
कि तुमसे करते हैं, सच्ची मोहब्बत जो हम।।
फ़कत इसी वजह से———————–।।
तुमसे भी बढ़कर बहुत है, खूबसूरत यहाँ नजारें।
हसीन हुस्न की हुर्रे , रोशन हैं जिनके सितारें।।
लेकिन दिल ने तो, तुम्हें ही माना है जो हमदम।
फ़कत इसी वजह से—————————-।।
नहीं कमी कोई हम में,तेरी कम हस्ती है हमसे।
मकबूल हमसे है तू , तेरी है इज्जत हमसे।।
लेकिन कर चुके हैं तुमसे, वफायें जो हम।
फ़कत इसी वजह से ————————।।
ऐसा भी आता है मन में, कि नष्ट कर दे तुमको।
किया है तुमने जो आखिर, बहुत बदनाम हमको।।
ख्वाब हमारा जो तू है, इसलिए डरते हैं हम।
फ़कत इसी वजह से————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)