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25 Jan 2024 · 1 min read

जीवनमंथन

मैं कौन हूं ? कहां से आया था? कहां जाना है?

इन सबसे अनिभिज्ञ कुछ पाकर खुश होता, कुछ खोकर दुःखी होता,

अपने अहं में डूबा हुआ भ्रम टूटने पर
कुंठाग्रस्त होता,

आसक्ति एवं विरक्ति के चक्र में उलझता ,
प्रेम और द्वेष के द्वंद मे भटकता ,

आशा और निराशा के बादलों में विचरण करता,
सत्य और मिथ्या के संदर्भ ढूंढ़ता ,

आत्मवंचना और ग्लानि के भंवर मे डूबता, उबरता,
अज्ञान और संज्ञान के अंतर को स्पष्ट करता,

आत्मज्ञान और आत्ममंथन को बाध्य होता,
विश्वास और छद्मविश्वास से प्रभावित होता,

ज्ञान और प्रज्ञाशक्ति से समस्याओं के हल खोजता,
नियम और व्यावहारिकता की उपयोगिता को जानता,

तत्वज्ञान और आध्यात्म से प्रेरित होता ,
सार्थक जीवन और वैराग्य के महत्व को समझता,

एक असीम अनंत यात्रा का पथिक बना हुआ,

आत्मा और परमात्मा के शून्य में विलय के लिए,
एक महाप्रयाण को शनैःशनैः अग्रसर होता हुआ।

Language: Hindi
97 Views
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